पत्रकार निरुपमा पाठक की प्रेम कहानी का दुःखद अंत

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द चाणक्य की स्पेशल सीरीज Unsolved पहेली में आज हम बात करेंगे पत्रकार निरुपमा पाठक की रहस्यमयी मौत के बारे में !

22 साल की निरुपमा पाठक उर्फ़ नीरू देश के प्रतिष्ठित संस्थान आईआईएमसी से पत्रकारिता की पढाई पूरी करके साल 2010 में अंग्रेजी अखबार बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्टर थी !

निरुपमा, प्रियभांशु रंजन से शादी करने जा रहीं थीं, वो एक कुलीन ब्राह्मण परिवार की बेटी और प्रियाभंशु जाति से कायस्थ !

ये एक ऐसी प्रेम कहानी थी जिसका अंत बेहद दुख दायी होने वाला था !

निरुपमा के साथ प्रियभांशु

झारखंड के कोडरमा से आईआईएमसी में प्रवेश के लिए जब निरुपमा दिल्ली आईं थीं, तभी इंटरव्यू के वक्त उनकी मुलाकात प्रियभांशु से हो गई थी पत्रकारिता की पढाई करते करते दोनों एक दूसरे के करीब आते चले गए ! आईआईएमसी में निरुपमा और प्रियभांशु की जोड़ी चर्चित थी !


निरुपमा पाठक एक बेहद हंसमुख लड़की थी,  वो एक अव्वल दर्जे की छात्रा थी, उसके सहकर्मी कहते हैं कि वो होनहार पत्रकार भी थी ! लेकिन उसने एक गुनाह किया था और वो ये था कि  उसने एक लड़के से प्रेम करने की हिम्मत कर दी थी और अपनी पसंद के उसी लड़के से वो शादी करना चाहती थी ! लेकिन ऐसा हुआ नहीं !

निरुपमा पाठक के ब्राह्मण पिता को विजातीय दामाद स्वीकार न था. किसी भी सूरत में नहीं ! निरुपमा को विश्वास था कि इस विजातीय प्रेम विवाह के लिए अपने पापा को वह समझा लेगी ! वह न तो अपने पापा को दुखी करना चाहती थी और न ही अपने होने वाले पति प्रियभांशु को !

निरुपमा को अपने पिता और परिजनों पर भरोसा था कि उन लोगों ने जिस खुलेपन और भरोसे के चलते उसे पढ़ने और पत्रकारिता करने दिल्ली भेजा, उसी खुलेपन वाली सोच के साथ वे विजातीय प्रेम विवाह करने की अनुमति भी दे देंगे, पर ऐसा न हो सका !

ऊपर नीरू एवं नीचे नीरू का भाई, माँ और पिता

एक दिन नीरू को खबर मिली की माँ बीमार है माँ को देखने के लिए बेटी 19 अप्रैल 2010  को छुट्टी लेकर दिल्ली से अपने घर कोडरमा चली गयी

उनका कोडरमा से वापसी का रिजर्वेशन 28 अप्रैल का था ! वो ट्रेन जो नीरू को ले कर गई, उसे लेकर फिर लौटी नहीं..

29 अप्रेल 2010 को खबर आई कि नीरू नहीं रही !

इसी दिन नीरू ने प्रियाभंशु को मेसेज किया था कि “मैं आने की कोशिश करुँगी तुम धेर्य रखो और बिना मेरे कहे कोई एक्सट्रीम स्टेप मत उठाना “ ये नीरू का प्रियाभंशु को किया गया आखिरी मेसेज था !

निरुपमा को अपने प्रेम का मूल्य प्राण देकर चुकाना पड़ा !

संदेहास्पद परिस्थितियों में हुई उनकी मौत से उन्हें जानने वाले सभी लोग सन्न थे ! निरूपमा की लाश झारखण्ड के कोडरमा स्थित उनके घर में मिली !

परिवार ने शुरूआती दौर में नीरू की मौत की वजह करंट लगना बतायी थी और इसके विपरीत स्थानीय पुलिस ने  प्रथम दृष्टया फांसी लगाकर आत्महत्या की बात कही थी। निरुपमा के कमरे से पुलिस को एक सुसाइड नोट भी मिला था.

लेकिन निरुपमा को जानने वाले कह रहे थे कि वह आत्महत्या नहीं कर सकती, मामला ऑनर किलिंग का है। प्रिय भांशु  रंजन ने निरुपमा के परिवार वालों पर हत्या का अरोप लगाया था। रंजन के कहा था कि नीरू के घरवालों को उनके प्रेम विवाह करने के फैसले पर ऐतराज था। घरवालों ने निरुपमा को एक षडयंत्र के तहत मां के बीमार होने की झूठी सूचना देकर घर बुलाया था । निरुपमा को 28 अप्रैल को वापस दिल्ली लौटना था, लेकिन घरवालों ने उसे दिल्ली आने से जबदस्ती रोका ।

३० अप्रेल को पोस्टमार्टम हुआ और पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने भी यह स्पष्ट कर दिया कि मामला आत्महत्या का नहीं, हत्या का था ! पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया कि मौत की वजह दम घुटना था ! मतलब नाक, मुंह दबाकर रखना !

और ये सामान्य सी बात है कि कोई भी अपना गला खुद घोंट कर आत्महत्या नहीं कर सकता ! लेकिन सबसे दर्दनाक सच सामने लाती है पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की आखिरी-लाइन
और वो ये की उसके पेट में 10 से 12 हफ्ते का शिशु भ्रूण था ! इसका मतलब ये की अगर ये हत्या थी तो फिर ये दोहरा हत्याकांड था !

पुलिस ने निरुपमा की हत्या का मामला दर्ज कर लिया था ! निरुपमा पाठक की हत्या के मामले में जांच आगे बढ़ाने के लिए पुलिस ने निरुपमा के परिजनों को उठा लिया  और उन्हें थाने लाकर पूछताछ की ! निरुपमा की मां, भाइयों व पिता से अलग-अलग पूछताछ हुई !

एफआईआर में निरुपमा की मां सुधा पाठक को मुख्य आरोपी बनाया गया !  पुलिस ने पूछताछ के बाद निरुपमा की मां को जेल भेज दिया . पिता व दोनों भाइयों से पूछताछ की जा रही थी ! निरुपमा की मौत के समय जो परिस्थितियां रहीं , उसके आधार पर उनकी मां प्रथम दृष्टया इस हत्याकांड की मुख्य आरोपी लग रही थी, उनकी मदद किन लोगों ने की इसका पता लगाया जा रहा था !

तीन माह जेल में गुजारने के बाद नीरू की माँ को जमानत मिल गई ।

नीरू की माँ सुधा पाठक ने कोर्ट में प्रियभान्शु के खिलाफ एक याचिका दायर कर दी ! इसमें प्रियभान्शु पर आरोप लगाया गया था की उसने शादी का प्रलोभन देकर नीरू का यौन शोषण किया और बाद में शादी करने से मना कर दिया जिससे मजबूर होकर नीरू ने आत्मा हत्या करने जैसा कदम उठाया !

अदालत के आदेश के बाद पुलिस ने प्रियभांशु के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया ! प्रियभांशु के खिलाफ आईपीसी की धारा 376, 306, 506 और 420 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया !

निरुपमा जिससे प्रेम करती थी और शादी करना चाहती थी, उसे अब पुलिस पूछताछ के लिए बुलाने वाली थी, प्रियभांशु की भूमिका की जांच के लिए कोडरमा पुलिस ने उसे गहन पूछताछ का फैसला किया ! निरुपमा के प्रेमी प्रियभांशु से पूछताछ के लिए कोडरमा पुलिस की एक टीम दिल्ली रवाना हो गई  !

प्रियभांशु से पूछताछ करने दिल्ली आई झारखंड पुलिस ने प्रियभांशु का मोबाइल अपने कब्जे में ले लिया और इस फोन से हुई बातचीत और मैसेज की तहकीकात करने में पुलिस जुट गई ! पुलिस पता लगा रही थी कि मौत के पहले निरुपमा से प्रियभांशु ने क्या बातचीत की और दोनों के बीच आखिरी दिनों रिश्ते कैसे थे ?

पुलिस ने जांच के दौरान ही प्रियभांशु को बलात्कार और धोखाधड़ी के आरोपों में क्लीन चिट दे दी थी , लेकिन आत्महत्या के लिए उकसाने के मामला में जांच जारी थी ! 

इस डेवलपमेंट के बाद निरुपमा की मौत का मामला और उलझ गया, अभी तक यह तय नहीं हो सका था कि मामला आत्महत्या का था या हत्या का ! पोस्टमार्टम रिपोर्ट से लग रहा था कि निरुपमा की हत्या की गई थी  जबकि उसके परिजन लगातार कह रहे थे  कि उसने आत्महत्या की थी  .

मार्च 2011 में कोलकाता की एक फॉरेंसिक प्रयोगशाला ने सुसाइड नोट पर निरुपमा के हस्ताक्षर की पुष्टि की थी। इसके बाद इस मामले को हत्या की बजाय आत्महत्या के लिए उकसाने में तब्दील करते हुए निरुपमा की मां सुधा पाठक, पिता धर्मेंद्र पाठक, भाई समरेन्द्र पाठक और प्रेमी प्रियभांशु को आरोपी बनाया गया था।

जांच में प्रियभांशु के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला कोर्ट के सामने ऐसे कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किए गए, जिससे यह साबित हो सके कि नीरू की आत्महत्या में प्रियभांशु रंजन की भूमिका थी। और नीरू की मौत के पांच साल बाद २०१५ मे प्रियभांशु रंजन को बरी कर दिया गया !

अगर नीरू ने आत्महत्या की थी तो ये वाकई बहुत दुर्भाग्य पूर्ण घटना थी और अगर ये हत्या थी तो फिर बहुत सोची-समझी साजिश के तहत की गई थी !

उम्मीद थी कि कल-परसों, किसी भी दिन यह पता चल ही जाएगा कि यह खुदकुशी थी या फिर हत्या लेकिन बरसों बीत गये और सवाल वहीं का वही खड़ा है…

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