Gangster Neeraj Bawana Biography in Hindi । नीरज बवाना कैसे बना दिल्ली का DON ?

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Crime Kahani में आज आपको बतायेंगे कि

  • डीटीसी में बस कंडक्टर प्रेम सिंह सहरावत का बेटा नीरज सहरावत कैसे बन गया नीरज बवाना ?
  • पिछले 6 सालों से नीरज बवाना तिहाड़ जेल में बंद है, फिर भी अभी ये नाम सुर्ख़ियों में क्यूँ है ?

जिस तरह गैंगस्टर काला जठेड़ी (Kala Jatheri) का नाम पहलवान सुशील कुमार (Sushil Kumar) के साथ जुड़ा है, उसी तरह गैंगस्टर नीरज बवाना (Gangster Neeraj Bawana) का नाम भी सागर धनकड हत्याकांड और पहलवान सुशील कुमार से जुड़ा हुआ है !

नीरज सहरावत कैसे बना खलनायक नीरज बवाना (Neeraj Bawana) ?

दिल्ली के उत्तर पश्चिम जिले में एक गाँव है बवाना इसी गाँव में 5 अगस्त 1988 को नीरज सहरावत का जन्म हुआ पिता प्रेम सिंह सहरावत दिल्ली परिवहन निगम में बस कंडक्टर थे !

नीरज ने मात्र 16 साल की उम्र में ही अपराध की पाठशाला में एडमिशन ले लिया था, इसके बाद जब नीरज तिहाड़ में पहुंचा तो यहाँ उसने दाउद के चेले फज़ल-उर-रहमान से अपराध की थ्योरी पडी और जब इंटर्नशिप की बारी आई तो नीरज सुरेन्द्र मालिक उर्फ़ नीतू दाबोदा (Neetu Daboda) के गैंग में शामिल हो गया !

उस समय नीतू दाबोदा (Neetu Daboda) गैंग अपराध की दुनिया में बहुत बड़ा नाम हुआ करता था ! नीतू दाबोदा (Neetu Daboda) के साथ मिलकर नीरज सहरावत ने कई बड़ी वारदातों को अंजाम दिया, जैसे-जैसे इसके नाम पर रंगदारी, हत्या और लूट के मामले बड़ते जा रहे थे  वैसे-वैसे गैंग भी बड़ा हो रहा था और नीरज सहरावत का नाम भी !

बवाना गाँव का होने की वजह से नीरज सहरावत नीरज (Neeraj Bawana) कहलाने लगा  !

क्या है नीरज बवाना (Neeraj Bawana) क्राइम कहानी

साल 2011 में इस गैंग में एक नया नाम जुड़ गया और ये नाम था नीरज (Neeraj Bawana) के करीबी सोनू पंडित का !

सोनू पंडित की एंट्री के बाद नीतू दाबोदा (Neetu Daboda) और नीरज बवाना के बीच दूरियां बड़ती चली गयी, दरअसल नीतू को ये लगने लगा था कि सोनू पंडित नीरज को उसके खिलाफ भड़का रहा है और ये दोनों मिलकर उसकी हत्या कर सकते हैं  

इसी असुरक्षा की भावना के चलते नीतू दाबोदा (Neetu Daboda) ने साल 2012 में सोनू पंडित की हत्या करवा दी और यही से नीरज बवाना और नीतू दाबोदा के बीच गैंगवार शुरू हो गयी और इस गैंगवॉर में दोनों गैंग के कई सदस्य मारे गए !

मई २०१२ में नरेला से तत्कालीन विधायक सत्येन्द्र राणा को फ़ोन पर धमकी दी गयी, फ़ोन करने वाले ने अपना नाम नीरज बवाना (Neeraj Bawana) बताया और उनसे ५० लाख रूपए की मांग की ! इसकी शिकायत दर्ज होने के बाद नीरज बवाना को गिरफ्तार कर लिया गया !

२६ अक्टूबर साल 2013 में जब नीतू दाबोदा (Neetu Daboda) पुलिस के साथ मुठभेड़ मारा गया उसके बाद नीरज बवाना जमानत पर जेल से बाहर आया और फरार हो गया !

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नीतू की मौत के बाद उसके गिरोह की कमान संभाली पारस उर्फ़ गोल्डी और प्रदीप उर्फ़ भोला ने !

नीरज दिल्ली का डॉन बनना चाहता था और अपना वर्चस्व कायम करने के लिए वो विरोधी गैंग पर हावी होने लगा. आरोप है कि साल 2014 में उसने अपने करीबी सोनू पंडित की हत्या में शामिल संदीप टटेसर की हत्या कर दी. इसके बाद रानी बाग इलाके में नीरज के साथियों ने नीतू गैंग के प्रदीप दहिया और अनिल को भी मार डाला ! नीतू का साथी आशु हलालपुरी भी इसी गिरोह के हाथो मारा गया !

नीरज बवाना (Neeraj Bawana) ने रोहिणी कोर्ट परिसर में पेशी के समय प्रदीप भोला को मारने का भी प्लान तैयार कर लिया था और इस काम के लिए उसने अप्रेल 2014 में अपने गिरोह के दस लोगो को भेजा था, ये लोग अदालत परिसर में दाखिल भी हो गए लेकिन पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया !

दिसंबर २०१४ में बवाना का साथी अमित भूरा देहरादून जेल में बंद था, एक हत्या के आरोप में बागपत कोर्ट में उसकी सुनबाई होनी थी, इसी पेशी के लिए उसे देहरादून जेल से बागपत कोर्ट पुलिस कस्टडी में लाया जा रहा था !

रास्ते में  करीब 10 से 12 लोग एक suv में सवार होकर आये और उन्होंने पुलिस के ऊपर मिर्ची स्प्रे और गोलीबारी कर दी और अमित भूरा को भगा कर ले गए ! जाते जाते ये लोग पुलिस टीम से दो AK 47 रायफल भी लूटकर ले गए. इसमें भी नीरज बवाना (Neeraj Bawana) के करीबियों का हाथ बताया जाता है !

दिल्ली पुलिस ने नीरज बवाना (Neeraj Bawana) और उसके गैंग को पकड़ने के लिए दिल्ली और दुसरे कई राज्यों में ऑपरेशन चलाये और उसके 35 साथियों को गिरफ्तार भी कर लिया लेकिन नीरज बवाना को पुलिस नहीं पकड़ पाई थी !

कैसे गिरफ्तार हुआ नीरज बवाना (Neeraj Bawana)

नीरज बवाना (Neeraj Bawana) दिल्ली का मोस्ट वांटेड गैंगस्टर बन चुका था और उसकी गिरफ्तारी दिल्ली पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बन गयी थी ! आखिरकार 7 अप्रेल 2015 को सुबह पोने चार बजे नीरज बवाना को उसके एक साथी मोहम्मद राशिद के साथ पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया !

लेकिन कहानी यहीं ख़त्म नहीं हुई !

२५ अगस्त २०१५ पुलिस नीरज बवाना (Neeraj Bawana) को कोर्ट से बापस जेल लेकर आ रही थी, जिस वैन में नीरज बवाना था उसी वैन में ही नीतू गैंग के पारस उर्फ़ गोल्डी और प्रदीप उर्फ़ भोला भी मौजूद थे, नीरज ने अपने साथी राहुल काला के साथ मिलकर उन्हें रास्ते में ही मार डाला था !

आपराधिक मामलों का पूरा एक शतक मार चुका गैंगस्टर नीरज बवाना फिलहाल तिहाड़ जेल में है और कहते हैं कि वो अपना गिरोह वहीं बैठकर चलाता है !

सागर धनकड़ हत्याकांड में भी बवाना गैंग के चार सदस्य गिरफ्तार हुए हैं साफ़ है कि तिहाड़ जेल में बंद गैंगस्टर नीरज बवाना (Neeraj Bawana) सुशील कुमार की मदद कर रहा था !

बवाना गिरोह में हरियाणा के अलावा यूपी, दिल्ली के पचास से अधिक सदस्य शामिल हैं, जो लूट से लेकर रंगदारी, जमीनों पर कब्जा, हत्या की वारदात को अंजाम देते हैं !

गैंगस्टर्स अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए आपस में भिड़ते हैं एक दूसरे की जान लेते हैं, नीतू दाबोदा (Neetu Daboda) और नीरज बवाना (Neeraj Bawana) जो पहले एक दुसरे के सहयोगी थे बाद में दुश्मन बन गए !

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