कहानी (Alekhya)अलेख्या और (Sai Divya) साईं दिव्या की है, यहाँ कैमिस्ट्री से पीएचडी वलेरू पुरुषोत्तम नायडू एक सरकारी कॉलेज में प्रिंसिपल हैं, उनकी पत्नी पद्मजा गणित में गोल्ड मेडलिस्ट हैं और पिछले 23 सालों से एक कोचिंग सेंटर चला रही हैं ! इन उच्च शिक्षित माता पिता की दो होनहार बेटियाँ जिनमे बड़ी बेटी 27 साल की (Alekhya)अलेख्या ने मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से मास्टर्स डिग्री हासिल की थी और छोटी बेटी 22 साल की (Sai Divya) साईं दिव्या बीबीए करने के बाद एआर रहमान के संगीत विद्यालय की छात्रा थी दोनों लॉकडाउन के दौरान ही घर लौटी थी !
(Alekhya)अलेख्या And (Sai Divya) साईं दिव्या Murder Case
सरकारी महिला डिग्री कॉलेज में प्रिंसिपल व्ही पुरुसोत्तम नायडू ने अपने सहकर्मी को फ़ोन करके एक ऐसी बात बताई कि उस आदमी के पसीने छूट गए उसने तुरंत पुलिस को खबर दी और जब पुलिस प्रिंसिपल के घर पहुँची तो जो नज़ारा उनके सामने था उसके बारे में जानकार आपकी भी रूह काँप जायेगी !
कहानी आँध्रप्रदेश के चित्तूर जिले के मदनापल्ले कस्बे की है, यहाँ कैमिस्ट्री से पीएचडी वलेरू पुरुषोत्तम नायडू एक सरकारी कॉलेज में प्रिंसिपल हैं, उनकी पत्नी पद्मजा गणित में गोल्ड मेडलिस्ट हैं और पिछले 23 सालों से एक कोचिंग सेंटर चला रही हैं ! इन उच्च शिक्षित माता पिता की दो होनहार बेटियाँ जिनमे बड़ी बेटी 27 साल की (Alekhya)अलेख्या ने मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से मास्टर्स डिग्री हासिल की थी और छोटी बेटी 22 साल की (Sai Divya) साईं दिव्या बीबीए करने के बाद एआर रहमान के संगीत विद्यालय की छात्रा थी दोनों लॉकडाउन के दौरान ही घर लौटी थी !
अलेख्या और साईं दिव्या अब इस दुनिया में नहीं हैं !
पांच महीने पहले तक यह परिवार प्रशांत नगर में रह रहा था और 14 अगस्त को ही शिव नगर में बने अपने इस नए आलीशान घर में शिफ्ट हुआ था, ये लोग अपने काम से काम रखते थे पूरा परिवार सांई बाबा और आचार्य रजनीश यानी ओशो का भक्त था !
कोरोना के चलते यह परिवार अलग-थलग था और नौकर को भी घर के अंदर जाने की अनुमति नहीं थी पड़ोसियों ने इन्हें कभी बाहर नहीं देखा था !
24 जनवरी शाम साढ़े सात बजे पुरुषोत्तम नायडू ने अपने करीबी सहकर्मी GP राजू को फोन करके जो कहा वो हैरान करने वाला था ! नायडू ने बताया कि उनकी दोनों बेटियों की हत्या हो गयी है ये सुनकर GP राजू ने तुरंत पुलिस को खबर की और जब पुलिस ने नायडू के घर में घुसने की कोशिश की तो उनकी पत्नी पद्मजा ने पुलिस को रोक दिया, वो लगातार चिल्ला रही थी कि अगर आपने आधे घंटे और इंतज़ार किया होता तो मेरी दोनों बेटियाँ बापस जिन्दा हो गयी होती !
पद्मजा आखिर ऐसा क्यूँ कह रही थी ? क्या सच में कोई मरने के बाद फिर से जिन्दा हो सकता है ? ये ऐसे सवाल थे जिनके जबाव पुलिस की जांच में सामने आने वाले थे !
पुलिसवाले जब अंदर गए तो वहां की हालत देखकर उनके होश उड़ गए, तीन मंजिला घर के पहले माले में बने एक कमरे में बड़ी बेटी (Alekhya)अलेख्या का शव पड़ा हुआ था, छोटी बेटी (Sai Divya) साईं दिव्या की लाश दूसरी मंजिल पर मिली दोनों लाशें लाल कपड़े से ढकी थीं!
पुलिस के सामने इस समय जो दृश्य था उसे देख कर सभी सकते में थे ! लेकिन दोनों लड़कियों के माता पिता पुरूषोत्तम और पद्मजा के चेहरों पर तनाव नहीं दिख रहा था ! पुरूषोत्तम सोफे पर समाधि की मुद्रा में बैठे हुए थे और उनकी पत्नी बिस्तर पर बैठकर दीवार को देख रही थी, पुलिस ने उनसे पूछताछ की और उसके बाद जो कहानी सामने आई उसे जानकार आप भी सन्न रह जायेंगे!
असल में इस दुखद हत्याकांड के पीछे का कारण मानसिक बीमारी थी, जो पद्मजा को उसके परिवार से और (Alekhya)अलेख्या को पद्मजा से विरासत में मिली थी !
पद्मजा खुद को कालिका समझती थी और अलेख्या को ये लगता था कि वो पिछले जन्म में अर्जुन थी ! वो अक्सर अपने पिता पुरुषोतम नायडू से कहती थी कि कॉलेज में पढ़ाना तुम्हारा काम नहीं है तुम्हे युद्ध की अगुआई करनी है !
(Alekhya)अलेख्या सोचती थी की वो सबसे अलग है और यही विश्वास उसने अपने परिवार के लोगों में भी जगाने की कोशिश की उसने छोटी बहन (Sai Divya) साईं दिव्या को मरने के लिए प्रोत्साहित किया और वो तैयार हो गयी !
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पिता जिन्होंने शुरू में इस विचार को गलत बताते हुए इसका विरोध किया था अंत में वो भी उसका हिस्सा बन गए !
मानसिक बीमारी के चलते ये विचार पूरे परिवार पर हावी हो गया कि वे सब मरकर अगले दिन बापस जिन्दा हो जायेंगे और फिर पूरी दुनिया उनका ये चमत्कार देखेगी !
इसी के चलते पद्मजा ने 24 जनवरी दोपहर लगभग 2:30 बजे छोटी बेटी (Sai Divya) साईं दिव्या को दूसरी मंजिल पर डम्बल से मार दिया था। बड़ी बेटी (Alekhya)अलेख्या को मारने वाले भी उसके माता-पिता ही थे अलेख्या की मौत शाम 4 बजे हुई थी इसके बाद पुरूषोत्तम और पद्मजा को भी मरना था लेकिन तभी पिता को ये अहसास हो गया कि उनकी दोनों बेटियां मारी जा चुकी हैं और वे अब कभी बापस नहीं आयेंगी इसके बाद शाम 7:30 बजे, पुरुषोत्तम नायडू ने सारी बात फोन पर अपने करीबी सहकर्मी जीपी राजू को बताई जीपी राजू ने तुरंत पुलिस से संपर्क किया !
पद्मजा को अभी भी ये समझ में नहीं आया था कि उसने अपनी दोनों बेटियों को हमेशा के लिए खो दिया है वो कह रही थी कि (Alekhya)अलेख्या और (Sai Divya) साईं दिव्या सूरज उगने के साथ ही जीवित हो जाएंगी!
पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार किया और उनकी मानसिक हालत देखते हुए इलाज के लिए मनोरोग केंद्र भेजने की सिफारिश की, दोनों को 29 जनवरी की सुबह मदनापल्ले उप-जेल से सरकारी अस्पताल के मनोरोग वार्ड में भेज दिया गया!
पद्मजा के सबसे करीबी व्यक्तियों के बारे में मनोचिकित्सकों ने पता किया तो सामने आया कि उनके पिता भी 20 वर्षों से मानसिक समस्याओं से पीड़ित थे! मनोचिकित्सकों का मानना है कि पद्मजा के चाचा को भी ऐसी ही समस्या थी और संभावना है कि पद्मजा की बेटी अलेख्या को भी यही बीमारी विरासत में मिली हो !
पद्मजा अभी भी कह रही थी कि ‘मेरे बच्चे वापस आ रहे हैं. मुझे घर जाना होगा’. वहीं पुरुषोत्तम नायडू रोए और उन्होंने डॉक्टरों से बात भी की.
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