Scam 2003 Abdul Karim Telgi Story – अब्दुल करीम तेलगी स्टाम्प घोटाला –
Abdul Karim Telgi अब इस दुनिया में नहीं है लेकिन अपने पीछे एक ऐसी कहानी छोड़कर गया कि अब उस कहानी पर जल्दी ही एक वेब सीरीज आपको देखने मिलेगी.
अपने बचपन में रेलवे स्टेशन पर मूंगफली बेंच कर, तो कभी सब्जी का ठेला लगा कर अपना गुजारा वाला ये शख्श बाद में इतना अमीर हो गया कि इसने मुंबई की एक बार गर्ल पर सिर्फ एक रात में 93 लाख रूपए उड़ा दिए.
इसने अरबों रूपए का ऐसा घोटाला किया जिसकी आंच कई बड़े नेताओं और अधिकारीयों तक पहुँची और ये के अपने समय का सबसे बड़ा घोटालेबाज बन गया.
साल 2020 में एक वेब सीरीज आई थी scam 1992 द हर्षद मेहता स्टोरी, इस वेब सीरीज के निर्माता निर्देशक हंसल मेहता अब एक और घोटाले की कहानी को वेब सीरीज के रूप में लेकर आ रहे हैं जिसका नाम है-
SCAM 2003 The Curious Case of Abdul Karim Telgi
ये वेब सीरीज जल्दी ही हमें देखने को मिलेगी.
कौन था अब्दुल करीम तेलगी और क्या है उसकी पूरी कहानी ? आइये आपको बताते हैं.
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29 जुलाई 1961 में अब्दुल करीम तेलगी का जन्म कर्नाटक के खानपुर में हुआ था. उसके पिता रेलवे में काम करते थे लेकिन अब्दुल करीम तेलगी ने बचपन में ही अपने पिता को खो दिया था पिता की मौत होने के बाद परिवार की बदहाली शुरू हो गयी.
पेट पालने के लिए अब्दुल ने परिवार के साथ कभी सब्जी और फल बेंचे तो कभी मूंगफली, इसके साथ ही साथ वो पढाई भी करता रहा.
जैसे तैसे करके उसने कर्नाटक के ही बेलगावी से बीकॉम की डिग्री हासिल कर ली और मुंबई चला गया, मुंबई में कुछ काम करने के बाद और ज्यादा पैसे कमाने वो सऊदी अरब चला गया. 7 साल सउदी में बिताने के बाद अब्दुल करीम तेलगी बापस मुंबई चला आया.
यहाँ शुरू हुआ अब्दुल करीम तेलगी का फर्जीवाडा
तेलगी ने अरेबियन मेट्रो ट्रेवल्स के नाम से एक कंपनी खोली और लोगों को नौकरी और मजदूरी के लिए सउदी अरब भेजने का काम शुरू कर दिया. इस काम के लिए वह लोगों के फर्जी दस्ताबेज और फर्जी पासपोर्ट बनवाने लगा लेकिन उसका ये गैर कानूनी धंधा ज्यादा दिन नहीं चल सका. अब्दुल करीम तेलगी का ये फर्जीवाडा साल 1991 में उजागर हो गया और मुंबई पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया जिसके बाद उसे जेल जाना पड़ा.
जेल में उसकी मुलाकात हुई कोलकाता के स्टाम्प वेंडर राम रतन सोनी से जिसने तेलगी को बताया कि शेयर बाज़ार में हर्षद मेहता के घोटाले के बाद मार्किट में स्टाम्प पेपर्स की कमी हो गयी है. यहीं से उसे बड़े पैमाने पर स्टाम्प बेचने का आइडिया मिला.
साल 1994 में तेलगी ने राम रतन सोनी के साथ मिलकर क़ानूनी तौर पर स्टाम्प विक्रेता का लाइसेंस हासिल कर लिया. ये लाइसेंस उसे मिला था असली स्टाम्प बेंचने के लिए जिसके बदले उसे कमीशन मिलता, लेकिन अब्दुल करीम तेलगी का मकसद ये बिलकुल नहीं था. इस लाइसेंस की आढ़ में वो खुद नकली स्टाम्प छापकर बेंचना चाहता था, जिससे कि स्टाम्प बिक्री का पूरा पैसा उसकी जेब में आ जाये.
नकली स्टाम्प छापने के लिए उसे एक मशीन चाहिए थी और मशीन की जुगाड़ के लिए उसने अपने संबंधों का इस्तेमाल किया. अब्दुल करीम तेलगी ने नासिक की स्टाम्प बनाने वाली सरकारी मशीन को बेकार घोषित करवा दिया और भंगार की कीमत में उसे खुद खरीद लिया.
इसी मशीन के सहारे अब्दुल करीम तेलगी नकली स्टाम्प छाप छाप कर बेचने लगा. अपने इस फर्जी कारोबार को बडे स्तर पर करने के लिए उसने MBA करने वाले और दुसरे उच्च शिक्षित 300 युवाओं को अपने यहाँ नौकरी पर रख लिया. ये लड़के उन संस्थानों में जाते थे जहाँ स्टाम्प का ज्यादा इस्तेमाल होता था.
बीमा कम्पनीयों, विदेशी निवेशकों, बैंकों और शेयर बाज़ार से जुड़े लोगों को ज्यादा कमीशन देकर स्टाम्प बेंचे जाने लगे, अब्दुल करीम तेलगी ने देश के 18 राज्यों के 70 शहरों में अपना नकली स्टाम्प का कारोबार फैला दिया था.
इस काम में अब्दुल करीम तेलगी अकेला नहीं था कई बड़े नेताओं और पुलिस अधिकारियों तक इस काली कमाई का हिस्सा पहुँच रहा था, यही कारण था कि साल 2001 आते आते देश भर में उसके खिलाफ दो दर्जन से ज्यादा केस दर्ज हो चुके थे लेकिन फिर भी उसकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी थी. अकेले महाराष्ट्र में ही उसके खिलाफ एक दर्जन मामले दर्ज थे.
अब्दुल करीम तेलगी किस कदर बेहिसाब दौलत बना रहा था इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, उसने सिर्फ एक रात में तरन्नुम खान नाम की एक बारवाला के डांस पर 93 लाख रूपए उड़ा दिए थे. तेलगी जब भी बार में जाता था इसी तरह से पैसे उडाता था जिसकी वजह से तरन्नुम कुछ ही समय में मुंबई की सबसे अमीर बार गर्ल बन गयी थी.
Abdul Karim Telgi का स्टाम्प घोटाला कैसे खुला ?
साल 2000 के अगस्त महीने में बेंगलुरु पुलिस ने फर्जी स्टाम्प पेपर ले जाते हुए दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया इस मामले में जब जांच शुरू हुई तो इस फर्जी स्टाम्प घोटाले की परतें खुलना शुरू हुई.
नवम्बर 2001 में अब्दुल करीम तेलगी को अजमेर से गिरफ्तार कर लिया गया. गिरफ्तार होने के बाद जब पुलिस ने तेलगी से पूछताछ की तो कई बड़े नेताओं और पुलिस अधिकारियों के नाम सामने आए और गिरफ्तारियां भी हुई मामला सीबीआई को सौंप दिया गया.
जांच में 18 शहरों में तेलगी की अकूत संपत्ति और 123 बैंक खातों का पता चला.ये घोटाला 20000 करोड़ रूपए का था. नार्को test में तेलगी ने महाराष्ट्र के दो कद्दावर नेताओं के नाम लिए लेकिन इन पर आरोप सिद्ध नहीं हो पाए.
इसी तरह से हर्षद मेहता ने भी कुछ बड़े नेताओं के नाम लिए थे लेकिन आरोप वहां भी सिद्ध नहीं हो पाए थे, हमेशा छोटी मछलियाँ ही पकड़ी जाती हैं.
साल 2006 में अदालत ने तेलगी को 202 करोड़ रुपये के जुर्माने के साथ 30 साल कैद की सजा सुनाई.
उसे बेंगलुरु जेल भेज दिया गया, जेल में भी वह काफी आलीशान जिंदगी जीता था इस बात का खुलासा जुलाई 2017 में बेंगलुरु की डीआईजी डी. रूपा ने किया था, उनका कहना था कि जेल में तेलगी को स्पेशल ट्रीटमेंट दिया जाता है और मसाज के लिए तीन – चार लोग दिए जाते हैं. इस खुलासे के तीन महीने बाद 26 अक्टूबर 2017 को अब्दुल करीम तेलगी की मौत हो गई। वैसे ही जैसे हर्षद मेहता की हो गयी थी. बताया गया कि डायबिटीज और हाई ब्लड के कारण उसके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था.
जैसा कि इस देश में हर घोटाले के साथ होता है, इस घोटाले में भी हुआ अब्दुल करीम तेलगी ऊपर पहुंच गया और उसकी मौत के बाद नासिक की एक अदालत ने साल 2018 में इस घोटाले के 8 आरोपियों को सबूतों के आभाव में बरी कर दिया.
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