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News18 हिंदी ने इस बारे में पड़ताल की तो इसमें कई खास तथ्य सामने आए, आइये जानते हैं इनके बारे में…
दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की नारकोटिक्स ब्रांच में तैनात रहे एक अधिकारी ने बताया कि डूब दरअसल एक हैंड रोल्ड सिगरेट है, यानि बाजार में मिलने वाले सिगरेट के पेपर को खुद रोल करके तैयार करना और फिर उसे पीना. नशा करने के लिए इसका इस्तेमाल बड़ी तादाद में किया जाता है. यह नशा किसी भी तरह का हो सकता है, चाहे उसमें तंबाकू रोल कर लिया जाए या गांजा या फिर कोकीन.
दीपिका ने बताया था, उनका पूरा ग्रुप डूब का इस्तेमाल करता है…रिपोर्ट के अनुसार, दीपिका ने एनसीबी अधिकारियों को पूछताछ में बताया कि उनका पूरा ग्रुप डूब का इस्तेमाल करता है, जो एक खास तरह की सिगरेट है. वहीं जब उनसे पूछा गया कि क्या डूब में ड्रग्स होती है तो इन सवालों पर उन्होंने चुप्पी भी साध ली.
डूब में ज्यादातर कोकीन भी पी जाती है…
इस पर अधिकारी ने बताया, डूब में ज्यादातर कोकीन भी पी जाती है. जो कोकीन के सबसे ज्यादा एडिक्ट होते हैं, वे इसका इस्तेमाल बड़ी संख्या में करते हैं. उनका कहना है कि डूब का इस्तेमाल केवल पार्टिज में ही नहीं, बल्कि आमतौर पर स्मोकिंग में भी किया जाता है.
नारकोटिक्स कानून क्या कहता है इसके बारे में और कितनी सजा का प्रावधान है?
वकील व एक्टिविस्ट अमित साहनी बताते हैं, नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक पदार्थ अधिनियम 1985, जिसे आम भाषा में एनडीपीएस एक्ट के नाम से जानते हैं, के तहत कोई व्यक्ति इसके प्रावधानों और नियमों के खिलाफ जाकर किसी ड्रग्स को बनाता है, रखता है, इंटरस्टेट इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट करता है, ट्रांसपोर्ट करता है या खरीदता है व एक्ट में दिए गए प्रावधानों का उल्लंघन करता है तो ऐसे में एक्ट के अंतर्गत प्रतिबंधित ड्रग की SMALL QUANTITY होने पर मुल्जिम को 6 महीने और दस हज़ार तक जुर्माना, कमर्शियल क्वांटिटी से कम लेकिन स्मॉल क्वांटिटी से अधिक होने पर 10 साल तक और एक लाख तक जुर्माना और कमर्शियल क्वांटिटी होने पर कम से कम 10 साल पर अधिकतम 20 साल सजा और दो लाख तक जुर्माना हो सकता है.
अमित साहनी बताते हैं, नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक पदार्थ अधिनियम 1985 के प्रावधानों के तहत नारकोटिक ड्रग या साइकोट्रॉपिक पदार्थ का सेवन करने वालों को भी एक साल तक की सजा का प्रावधान है और जो लोग ऐसी एक्टिविटीज को वित्तीय या प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा देते है तो ऐसे लोगों को एक्ट के सेक्शन 27(A) के तहत भी कम से कम 10 साल और अधिकतम 20 साल सजा और दो लाख तक जुर्माना हो सकता है. इसके इलावा गंभीर अपराध होने के चलते इस एक्ट के तहत आने वाले क्राइम में सजा पाए अपराधियों को राज्य सरकारों द्वारा किसी तरह की सजा में छूट देने का कोई प्रावधान नहीं है.
अमित साहनी का कहना है कि इस केस में क्राइम प्रूव होने पर सेक्शन 27 लागू होता है, जिसके तहत आरोपियों द्वारा बताई गई ड्रग्स अगर एनडीपीएस एक्ट में दिए गए शेडयूल में अगर प्रतिबंधित श्रेणी में आती हैं या सरकार के ऑफिशियल गजट में दी गई प्रतिबंधित दवाओं की श्रेणी में आती हैं तो इनका सेवन करने वालों को अलग अलग प्रावधानों के तहत 6 महीने या एक साल तक की सजा हो सकती है.
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