ऑपरेशन अश्वमेध: कैसे कमांडोज़ ने 12 सेकंड्स में हाईजैकर आतंकी को किया था ढेर? | thriller – News in Hindi

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अगर आप राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security) संबंधी कहानियों में दिलचस्पी लेते हैं तो 24 और 25 अप्रैल 1993 की तारीख आपको ज़रूर याद होगी. इंडियन एयरलाइंस (Indian Airlines) के एक विमान को हाईजैक (Plane Hijack) किया गया था और एनएसजी कमांडोज़ (NSG Commandos) की एक टीम ने ऑपरेशन शुरू होने के बाद सिर्फ 5 मिनट में हाईजैकर के कब्ज़े से आज़ाद कराया था और उसमें सवार सभी यात्री भी सुरक्षित बचाए गए थे. लेकिन, इस हाईजैकिंग और एनएसजी के ऑपरेशन (Operation Ashwamedh) की स्क्रिप्ट क्या थी?

किसी विमान (Airplane) को हाईजैक करना बच्चों का खेल तो है नहीं, इसलिए सोचिए कि एक ​हथियारबंद युवक विमान के अंदर पहुंच कैसे गया? विमान के अंदर अगले 12 घंटों तक हाईजैकर (Hijacker) क्या करता रहा और आखिरकार एनएसजी की टीम ने कैसे अपने ऑपरेशन को अंजाम दिया? इन तमाम सवालों के जवाब आपको यह कहानी देगी.

सुरक्षा घेरे को चकमा कैसे दिया गया?
दिल्ली एयरपोर्ट के लाउंज में 27 या 28 साल का बड़ी दाढ़ी का एक युवक बैठा था. श्रीनगर निवासी डॉक्टर आसिफ ने उससे कहा, ‘ये स्टील की छड़ें आपके पैर के घाव के लिए खतरनाक हो सकती हैं, ये आपको निकाल देना चाहिए.’ उस युवक ने अपने दोनों पैरों में बंधे प्लास्टर की तरफ देखा और जवाब दिया, ‘असल में, जयपुर में एक हादसे के बाद डॉक्टरों के कहने पर ही मैंने ऐसा किया है.’इसके बाद फ्लाइट के अनाउंसमेंट के बाद दोनों चेक इन करने गए. यह दाढ़ी वाला युवक लंगड़ाते हुए बैसाखियों के सहारे चेकइन के सुरक्षा घेरे तक पहुंचा. मेटल डिटेक्टर ने जब बीप बजाई तो उसने पैरों में लगी स्टील की रॉड्स को देखा और ड्यूटी पर तैनात कांस्टेबल ने भी उसकी हालत देखकर उसे जाने दिया. दो कदम आगे बढ़ते ही यह युवक मन ही मन खुश हुआ कि उसने आधी बाज़ी तो जीत ही ली.

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बोइंग 737 विमान की एक तस्वीर. जो विमान 1993 में हाईजैक किया गया था, वह तकरीबन इसी तरह का था.

आधे घंटे बाद ही प्लेन हुआ हाईजैक
डॉक्टर को अपना नाम रिज़वी बताने वाला यह युवक जैसे ही विमान में अपनी सीट तक पहुंचा, तो इसका लंगड़ाना बंद हो चुका था. सीट पर बैठने के करीब आधे घंटे के बाद जब प्लेन उड़ान भर चुका था, रिज़वी ने अपने पैरों के प्लास्टर में बंद 9 एमएम की दो पिस्तौलें निकालीं और कॉकपिट की तरफ जाकर दोनों पिस्तौलें यात्रियों और पायलटों की तरफ तान दीं.

‘अल्लाह हू अकबर! खबरदार कोई अपनी जगह से हिला तो.. हिज़्बुल के आला कमांडर सैयद सलाहुद्दीन के हुक्म से मैं जनरल हसन अपने ​स्पेशल मिशन के तहत तुम सबको काबुल लेकर चलूंगा.. पायलट, बगैर कोई होशियारी किए इस प्लेन को सीधे काबुल ले चलो वरना इन पिस्तौलों के अलावा मेरे पास हथगोला भी है. ये पूरा प्लेन एक लमहे में आग का गोला बन जाएगा, समझे? अल्लाह हू अकबर..’

काबुल नहीं, अमृतसर पहुंचा प्लेन
पायलटों के कहने पर हाईजैकर मान गया और उड़ान संबंधी जानकारी दोपहर 2:43 बजे एयर ट्रैफिक कंट्रोल को मिली कि भारतीय एयरलाइंस की उड़ान IC427 हाईजैक हो चुकी है. इसके बाद हाईजैकर और भारतीय अधिकारियों के बीच बातचीत पायलट के माध्यम से शुरू हुई. पाकिस्तान ने अपने एयरस्पेस के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी इसलिए काबुल जाना मुहाल हो गया.

फ्लाइट कब तक हवा में चक्कर काटता इसलिए उसे अमृतसर के हवाई अड्डे पर उतारकर उसमें फ्यूल भरने पर हाईजैकर किसी तरह राज़ी हुआ. यहां पुलिस के आला अधिकारियों ने हाईजैकर के साथ बातचीत करने की कोशिश की. ‘आखिर तुम चाहते क्या हो?’ लेकिन हाईजैकर एक ही रट लगाए था, ‘ये प्लेन काबुल जाएगा.’ शाम 6 बजे के करीब डीजीपी ने बात करने की कोशिश की लेकिन हाईजैकर अपनी ज़िद पर कायम था.

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एनएसजी पायलट अक्सर हेलीकॉप्टर से मौके पर उतरते हैं. (फाइल फोटो)

रात में शुरू हुआ ऑपरेशन अश्वमेध
रात हो चली थी और उस हाईजैकर के साथ बातचीत कहीं पहुंच नहीं रही थी. उधर, हाईजैकर अपना गुस्सा कुछ यात्रियों पर उतार चुका था और पूरे प्लेन में एक अजीब सा तनाव और सन्नाटा था. रात करीब 11 बजे जब हाईजैकर ने अपनी मांग पर कायम रहने की बात करते हुए एक हवाई फायर करते हुए धमकी दी ‘अगर प्लेन काबुल नहीं गया, तो इसे यहीं बम से उड़ा दूंगा..’

इसके बाद अधिकारियों ने एनएसजी ऑपरेशन शुरू करने की कवायद को तेज़ किया. आदमपुर से अमृतसर बुलाई गई एनएसजी की टीम ने हालात का पूरा जायज़ा लिया और प्लेन में दाखिल होने की योजना बनाई गई. इस बीच, किसी तरह से इशारों में बात पहुंचाई गई और प्लेन में मौजूद एयर होस्टेसों ने प्लेन के सभी छह दरवाज़ों के व्हील लॉक खोल दिए.

रात 1 बजे फाइनल एक्शन
एक तरफ, आला अफसरान हाईजैकर के साथ लगातार बातचीत करते हुए उसे मसरूफ रखे हुए थे और दूसरी तरफ, एनएसजी के कमांडोज़ ने सभी छह दरवाज़ों से एक साथ प्लेन में दाखिल होने का एक्शन​ लिया. पंजाब पुलिस प्रमुख केपीएस गिल के साथ प्लेन के रेडियो फोन से बात कर रहे हाईजैकर को भनक तक नहीं लगी और एक के बाद एक कमांडोज़ प्लेन में घुस गए.

फिर साइलेंसर वाली पिस्तौल से फायर के दम पर 12 सेकंड्स में हाईजैकर को दबोच लिया गया क्योंकि हाईजैकर को जब तक कुछ समझ आता और वह किसी को नुकसान पहुंचा पाता, तब तक तो वह कमांडोज़ की गिरफ्त में था. 1 बजकर 5 मिनट पर कमांडोज़ हाईजैकर को लेकर प्लेन के बाहर आ गए. इस तरह, बोइंग 737 में 6 क्रू मेंबरों समेत कुल 141 लोगों को सुरक्षित निकाला गया.

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विमान के भीतर पायलट केबिन. (फाइल फोटो)

सवाल रह गया कि हाईजैकर मारा कैसे गया?
भारतीय संसद में बताए गए ब्योरे के साथ ही आधिकारिक स्रोतों से जो खबरें सामने आईं, उनमें कहा गया कि कमांडोज़ ने प्लेन में दाखिल होते ही साइलेंसर वाली पिस्तौल से फायर किए और हाईजैकर घायल हो गया. प्लेन के बाहर लाकर उसे स्थानीय पुलिस के हवाले किया गया. उसके बाद अस्पताल ले जाते वक्त उसने दम तोड़ दिया. लेकिन, मई 1993 में छपी इंडिया टुडे की एक कहानी की मानें तो उसे कमांडोज़ ने ज़िंदा पकड़ा था.

इसके बाद एयरपोर्ट पर ही इस हाईजैकर से थोड़ी देर पूछताछ के बाद इसे किसी मौके पर मार दिया गया. हालांकि यह रिपोर्ट अज्ञात सूत्रों के हवाले से थी, लेकिन सवाल खड़ा कर गई कि हाईजैकर से सघन पूछताछ ​की जाती, तो हाईजैकिंग के पीछे कौन था और क्या चाहता था, इसका पुख्ता खुलासा हो सकता था.

तो कौन था हाईजैकर?
एयरपोर्ट लाउंज में डॉक्टर को अपना नाम एचएम रिज़वी बताने वाले इस हाईजैकर ने प्लेन के अंदर अपना नाम जनरल हसन बताया. लेकिन ऑपरेशन अश्वमेध की कामयाबी के बाद भारतीय अधिकारियों के हवाले से कहा गया कि यह युवक जलालुद्दीन उर्फ मोहम्मद यूसुफ शाह था, ​जो कश्मीरी संगठन हिज़्बुल मुजाहिदीन का आतंकवादी था. लेकिन, श्रीनगर में हिज़्बुल मुजाहिदीन के प्रवक्ता ने इस दावे से इनकार किया और उल्टा आरोप लगाया कि भारत सरकार मामले की सच्चाई छुपाने की कोशिश कर रही है.

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