Rana Ayyub ये नाम विवादास्पद मुद्दों पर अपनी राय रखने की वजह से हमेशा सुर्ख़ियों में बना रहता है, लेकिन इस बार मामला ज्यादा गंभीर है. उसका कारण है एक घोटाला, एक धोखाधड़ी, एक ठगी और ये ऐसी ठगी है कि जिन लोगों को ठगा गया है उनको शायद पता भी नहीं.
इस घोटाले की कुल धन राशि है सिर्फ एक करोड़ सतहत्तर लाख रुपए. मैने यहां पर सिर्फ शब्द इसलिए इस्तेमाल किया है, क्यों कि भारत में अभी तक जो घोटाले हुए है उनके मुकाबले ये राशि कुछ भी नही.
इस घोटाले की कुल रकम भले ही दूसरे घोटालों के मुकाबले कम लग रही हो लेकिन ये घोटाला है बहुत ख़ास.
कौन हैं राणा अय्यूब (Who is Rana Ayyub) ?
राना अय्यूब एक पत्रकार हैं,
आपने तहलका का नाम तो जरूर सूना होगा ये उसी पत्रिका में काम करती थी.
ये उस समय पहली बार सुर्ख़ियों में आई थी, जब गुजरात हिंसा मामले में इन्होने मैथिली त्यागी बनकर कुछ नौकरशाहों और पुलिस अफसरों की बातें रिकॉर्ड कर ली थी. बाद में राणा अय्यूब ने इस पर गुजरात फाइल्स नाम की एक किताब भी लिखी.
तहलका के सम्पादक तरुण तेजपाल जब यौन शोषण के आरोप में जेल गए तो राना अय्यूब ने तहलका से विदा ले ली और स्वतंत्र पत्रकार के रूप में काम करने लगीं और अब वाशिंगटन पोस्ट टाइम मैगजीन और न्यू योर्क टाइम्स जैसे बड़े पत्र पत्रिकाओं के लिए लिखती हैं और फिलहाल संकट में हैं.
राणा अय्यूब (Rana Ayyub) की विवादित प्रतिक्रियाएं
अभी ज्यादा दिन नहीं बीते 22 जनवरी को राणा अयूब ने एक ट्वीट किया था, जिसके बाद सऊदी अरब के लोगों ने उन्हें ट्विटर पर ट्रोल भी किया. यमन और सऊदी अरब के बीच लंबे समय से लड़ाई चल रही है, लेकिन इन दिनों दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है. बीते दिनों हूती विद्रोहियों ने संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी अबू धाबी में ड्रोन हमले किए, इसमें दो भारतीय नागरिकों समेत तीन लोगों की मौत हो गई थी.
इसके बाद राणा अयूब ने ट्विटर पर लिखा, ‘यमन का खून बह रहा है और खून के प्यासे सऊदियों को रोकने वाला कोई नहीं है. ये वे लोग हैं जो खुद को इस्लाम का रक्षक बताते हैं. एक मुस्लिम के तौर पर मैं शर्मिंदा हूं कि ये दरिंदे पवित्र मस्जिद के रखवाले हैं. इस नरसंहार पर दुनिया चुप नहीं रह सकती.’
राणा अयूब की प्रतिक्रियाओं से लगता है कि वे बहुत संवेदनशील पत्रकार हैं लेकिन हाल ही में जो आरोप उनपर लगे हैं उसके बाद ऐसा नहीं कहा जा सकता.
राणा अय्यूब (Rana Ayyub) पर आरोप क्या हैं ?
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दरअसल 10 फरवरी को केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय ने पत्रकार राणा अय्यूब के 1.77 करोड़ रूपये अपने नियंत्रण में ले लिए. आरोप ये है कि इन्होने कोरोना पीड़ितों, किसानों और गरीबों की मदद करने के नाम पर चंदा जुटाया और फिर इस चंदे के पैसे को निजी खर्चों के लिए इस्तेमाल किया.
सितंबर 2021 में राणा अयूब के खिलाफ गाजियाबाद के इंदिरापुरम पुलिस स्टेशन में एक FIR दर्ज की गयी थी.
भारत में कुछ ऐसी Croud Funding वेबसाइटस हैं जो किसी नेक काम के लिए चन्दा जुटाने में लोगों की मदद करती है.
इन वेबसाइट पर जाकर चन्दा लेने के लिए एक कैम्पेन शुरू करना होता है, जिसके लिए कुछ जानकारी देनी होती है. जैसे आपको किस नेक काम के लिए चन्दा इकठ्ठा करना है और इस काम के लिए आपको कितने पैसों की आवश्यकता है. सारी जानकारी देने के बाद ये कैम्पेन वेबसाइट पर पब्लिश हो जाता है.
अब मान लीजिये कोई व्यक्ती किसी गरीब बच्चे की पढाई के लिए चन्दा देना चाहता है तो वो व्यक्ती इस वेबसाइट पर आयेगा और ऐसी कैम्पेन चुनेगा जिसमे ये बताया गया हो कि इकठ्ठा किए गए पैसों से गरीब बच्चो की पढाई में मदद की जाएगी. अब वो व्यक्ती यहाँ पर अपनी इच्छा से जितने चाहे पैसे दान दे सकता है.
ऐसी ही एक वेबसाइट है ketto.org जहाँ पर राणा अय्यूब ने साल 2020-21 में एक के बाद एक तीन कैम्पेन शुरू की थी.
अप्रेल मई 2020 में राणा अय्यूब ने पहली बार झुग्गी में रहने वाले गरीबों और किसानो की मदद के नाम पर 8255899 रूपए मांगे. इस कैम्पेन में 79,63,640 रूपए का चन्दा इकठ्ठा हुआ जिसे ketto.org से खुद राणा अय्यूब और उनके पिता के बैंक एकाउंट्स में ट्रान्सफर ले लिया गया.
आरोप है कि जिस पैसे से 2000 गरीब किसानो और स्लम में रहने वालों को दाल, चावल, तेल, शकर के पैकेट बांटे जाने थे उनमे से 50 लाख रूपए की फिक्स डिपाजिट May 2020 में राणा अय्यूब ने अपने पिता के नाम पर करवा दी.
इसके बाद दुसरे कैम्पेन में 6884560 इकठ्ठा हुआ. इसके अलावा 73332 अमेरिकी डॉलर दुसरे देशों से चंदा मिला ये पैसा राणा अय्यूब की बहन और पिता के अकाउंट में ट्रान्सफर लिया गया.
असम बिहार और महाराष्ट्र में राहत कार्यों के नाम पर जुटाए गए चंदे में से 50 लाख रूपए July 2020 में राणा अय्यूब ने अपने नए करंट में अकाउंट में ट्रान्सफर कर दिए.
इसी तरह से मई जून 2021 में तीसरा कैम्पेन शुरू किया गया जिससे 4053640 रूपए चंदा जुटाया गया इसके अलावा 36087 अमेरिकी डॉलर भी कोरोना पीड़ितों की मदद के नाम पर जुटाए गए. ये पैसा भी राणा अय्यूब के पिता के बैंक अकाउंट में गया. इसमे से कुछ पैसा हवाई यात्राओं और दुसरे निजी खर्चों के लिए इस्तेमाल किया गया.
राणा अय्यूब के बैंक स्टेटमेंट से पता चलता है कि केवल 28 लाख रूपए ही राहत कार्यों में खर्च किये गए इसके अलावा 74 लाख पचास हजार रूपए प्रधान मंत्री मुख्यमंत्री रहत कोष में दिए गए.
ED की जांच में खुलासा हुआ है कि आपराधिक मंशा से योजना बनाकर, दान के नाम पर धन जुटाया गया था और मदद के लिए पूरी तरह से उस धन का इस्तेमाल नहीं किया गया.
ED ने राणा अय्यूब के बैंक अकाउंट और उनके पिता के नाम की गयी FD से कुल मिलाकर 17727704 रूपए फ्रीज़ कर दिए हैं.
गरीब और बीमार लोगों की मदद के नाम पर जुटाए गए दान के पैसों का इस तरह दुरूपयोग होगा तो क्या लोग दान देना कम कर देंगे ? इस पर अपनी राय कमेंट करके जरूर बताइएगा
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